Saturday, 8 November 2014

ऊँची-नीची , पहाड़ों वाले जंगलों के बीच के घुमाव धार रास्तों के बीच आप नहीं कह सकते आपका अगला पड़ाव कितनी दूर , ऊपर या नीचे , किस दिशा में होगा - मंजिल कब कहाँ और कैसे मिलेगी -कैसी होगी।  साथ ही रास्तों के दोनों और भयंकर खाई।  संतुलन बनाना कठिन होता है।  आकस्मिक प्राकृतिक प्रकोप अलग -जिनकी कोई भविष्यवाणी की ही नहीं जा सकती। फिर प्रतियोगियों के दांव पेंच। जीवन इन्हीं सब के बीच आगे बढ़ने का नाम है - बिना विचलित हुए। 

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