देश में १२५ करोड़ लोग
एक सुप्रीम कोर्ट
कितने दिन काम ?
एक आदमी के हिस्से
कित्ता सा सुप्रीम कोर्ट ?
टाटा से बचा तो ना ?
क्रिकेट खा गया तो ?
अम्बानी ले ही जाता है !
फाँसी हो या न हो ?
डैम की ऊंचाई ?
रेलवे टाइम टेबल ?
वकीलों का रोजगार ?
कोंडोलेंस बार बार ?
अंडमान से इत्ता दूर।
कोहिमा भी तो सुदूर
केरल से यहाँ जाओगे ?
उत्ती फीस दे पाओगे ?
एक सेकेण्ड में क्या पाओगे ?
उस भीड़ में में पीस जाओगे।
इन सबसे कैसे बच पाओगे ?
वहाँ तुम्हारे लायक क्या है ?
तुम्हारे लिये फुर्सत किसे है ?
महान लोग पहले ; तुम बाद में !
कभी कभार ही तुम ,एक आध !
महान सुप्रीम कोर्ट , महान है
महान के लिये , महान का !
महान से , महान द्वारा
सचमुच महानतम है
सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम है /
हजारों पृष्ठों के विशाल
महान साहित्यिक ग्रन्थ
भूत -भविष्य -वर्तमान
अभिधा=ब्यंजना लक्षणा
अलंकार से सजा
सलाह निर्देश से भरा
महान दर्शन तत्व से भरा
सम्पूर्ण शब्दकोश संग्रहालय
विद्वानों का , विद्वानों के लिए
विद्वान द्वारा विद्वान सुप्रीम कोर्ट।
तुम ?
समझ भी पाओगे ?
पढ़ सकोगे ?
उत्ती विद्वता कहां से लाओगे
समझना तो दूर
उत्ते कागजों का बोझ ,संभालोगे ?
पढ़वा भी सकोगे ?
भारी फीस - दे पाओगे ?
इन सब के बाद भी
तुम्हारे हिस्से में
साल भर में
एक बटे चार सेकेण्ड का
बस इत्ता सा सुप्रीम कोर्ट
क्या नाम भी सही से ले पाओगे ?
लॉन्ग लीव
तम्हारा सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार
इसे मढ़वां कर सजाने के काम लाओगे ?
एक सुप्रीम कोर्ट
कितने दिन काम ?
एक आदमी के हिस्से
कित्ता सा सुप्रीम कोर्ट ?
टाटा से बचा तो ना ?
क्रिकेट खा गया तो ?
अम्बानी ले ही जाता है !
फाँसी हो या न हो ?
डैम की ऊंचाई ?
रेलवे टाइम टेबल ?
वकीलों का रोजगार ?
कोंडोलेंस बार बार ?
अंडमान से इत्ता दूर।
कोहिमा भी तो सुदूर
केरल से यहाँ जाओगे ?
उत्ती फीस दे पाओगे ?
एक सेकेण्ड में क्या पाओगे ?
उस भीड़ में में पीस जाओगे।
इन सबसे कैसे बच पाओगे ?
वहाँ तुम्हारे लायक क्या है ?
तुम्हारे लिये फुर्सत किसे है ?
महान लोग पहले ; तुम बाद में !
कभी कभार ही तुम ,एक आध !
महान सुप्रीम कोर्ट , महान है
महान के लिये , महान का !
महान से , महान द्वारा
सचमुच महानतम है
सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम है /
हजारों पृष्ठों के विशाल
महान साहित्यिक ग्रन्थ
भूत -भविष्य -वर्तमान
अभिधा=ब्यंजना लक्षणा
अलंकार से सजा
सलाह निर्देश से भरा
महान दर्शन तत्व से भरा
सम्पूर्ण शब्दकोश संग्रहालय
विद्वानों का , विद्वानों के लिए
विद्वान द्वारा विद्वान सुप्रीम कोर्ट।
तुम ?
समझ भी पाओगे ?
पढ़ सकोगे ?
उत्ती विद्वता कहां से लाओगे
समझना तो दूर
उत्ते कागजों का बोझ ,संभालोगे ?
पढ़वा भी सकोगे ?
भारी फीस - दे पाओगे ?
इन सब के बाद भी
तुम्हारे हिस्से में
साल भर में
एक बटे चार सेकेण्ड का
बस इत्ता सा सुप्रीम कोर्ट
क्या नाम भी सही से ले पाओगे ?
लॉन्ग लीव
तम्हारा सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार
इसे मढ़वां कर सजाने के काम लाओगे ?
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