मैनें आपसे चाँद या सूरज कब माँगा है -कब कहा की इस चाँद के, इस सूरज के टुकड़े कर दो।
बाँटने की बात कब कही।
हाँ , इत्ती सी दरख्वाहस्त रही है कि आप मुट्ठी खोल दें -बंद चांदनी ,धूप को खुली हवा में सरकने दें , खुली हवा में सांस लेने दे ------बस यही विनती है।
बाँटने की बात कब कही।
हाँ , इत्ती सी दरख्वाहस्त रही है कि आप मुट्ठी खोल दें -बंद चांदनी ,धूप को खुली हवा में सरकने दें , खुली हवा में सांस लेने दे ------बस यही विनती है।
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