सिकती रोटी की सुगंध जो फैली हवा मै ,
पेट की आग और तेज होती चली गयी .
धंसी आँख ,सपाट पेट ,और बेबस हुआ
सूखे गा्ल पर हड्डियों ने चांटा जड़ दिया ..
आंसू थे ,पर आँख में पानी बचा था कहाँ
जीभ ने निगल के थूक,गला तर किया .
पेट की आग और तेज होती चली गयी .
धंसी आँख ,सपाट पेट ,और बेबस हुआ
सूखे गा्ल पर हड्डियों ने चांटा जड़ दिया ..
आंसू थे ,पर आँख में पानी बचा था कहाँ
जीभ ने निगल के थूक,गला तर किया .
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