Wednesday, 12 November 2014

मैं आप तक अपने विचार पहुँचाने की कोशिश करता रहता हूँ।
- मेरा वर्तमान अभी आप सब के सामने है।
 - इतिहास में बताने लायक कुछ भी नहीं है।
 - पदार्थ मेरे पास है नहीं कि मैं आप सब को दिखा पाऊँ।
 - बस चली हुई यात्रा का इतिवृत्त है मेरे पास जो लगभग बिना किसी बाहरी प्रेरणा -साधन -अनुभव के आधार चली गई है।
-इसे बताते हुए बड़ी शर्म आ रही है।
- कोरी यात्रा - न कोई साथ ,  सहारा ; कोई यात्रा का प्रोग्राम भी नहीं -  चलना है , रुकना नहीं है। बस इत्ती सी जिद्द।
भागूंगा नहीं यह संकल्प।
भगा नहीं सकोगे , डरा नहीं सकोगे -यह है भरोसा।
बिना लड़े मरूंगा नहीं।
मरना ही पड़ेगा तो मारे बिना नहीं मारूंगा।
पर मेरा अधिकार बस मेरे चलने पर , मेरी यात्रा पर ही है। रास्ता या मंजिल - पड़ाव या रुकावटों पर मेरा कोई अधिकार नहीं। हाँ , रूकावटों को दूर करने का पुरुषार्थ अवश्य करता रहूंगा - आखिरी सांस के पहले तक।

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