Monday, 17 November 2014

प्रचलित स्वरूप में आस्था की प्रतियोगिता , प्रदर्शन ,बहरी सजावट ,सिथिल होती ब्यक्तिगत संवेदना तथा अत्यंत कठोर , कटु ,असहिष्णु,हिंसक प्रतिबद्धता मुझे विचलित करती है .वर्तमान दृश्य ,कम से कम धर्म और आस्था-विश्वास के नाम पर अरुचि पैदा करता है .
इस कटुता और कट्टरता से बचने का मन करता है .

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