Thursday, 27 November 2014

चाल ,चलन तो अब याद रहा नहीं
 बस चला हुआ ही याद रखना है।
गिरे थे जहां ,उठे वहीं ,आगे चले 
जिस ठौर से चले ,याद  रखना है।

घिर आई जो मुसीबतें ,वे याद नही
लड़ी  जो लड़ाई , उसे याद रखना है।
कितना जीता कितना हारा याद नही
खत्म नहीं लड़ाई ,यही याद रखना है। 

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