मैं जनता हूँ , मेरा अभी भी जिन्दा बच जाना
मेरा अभी भी नये दरख्त ,नया बगीचा लगाना
जिस राह अरसे से कोई नहीं आया , न आयेगा
उन राहों को अभी भी बुहारना , नित संवारना
अँधेरे के पहले दीपक जला रात भर बैठ जाना
अभी भी चमक रही आँख से तुम्हे यूँ देखना
झूम झूम आज भी यह लहराना ,गुनगुनाना
सपनों में आज, अभी भी ,सतरंगे रंग भरना
नई दुनिया के नयों के लिये यूँ दुआ मांगना
मेरा यूँ लिखना,पढ़ना,हौले हौले मुस्कुराना
तुम्हे बेचैन परेशान, हैरान तो कर ही देता है
और तुम उस तोते की खोज में लग जाते हो
अपने जिन्न जिन्नात से मैना खोजवाते हो
जहां मेरी जान -प्राण तुम्हारे जानते कैद है।
या फिर मेरी नाभि के अमृत कुण्ड खोजते हो।
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