Tuesday, 25 November 2014

आज समझ में आ रहा है - साठ साल बिना छत के रहा हुआ दर्द
एक अदद छत इतनी बड़ी चीज है , साठ साल आये और गुजर गये  .

आज समझ में आ रहा है -साठ साल अपनों के बिना रहने का दर्द 
अपनों को  खोजना इतना मुश्किल , मिलना उससे भी मुश्किल

आज समझ में आ रहा  है- पहचान के बिना जीने का दर्द
कितना दर्द होता है फिर से खुद की ही पहचान बनाने में ,


No comments:

Post a Comment