Saturday, 22 November 2014

केवल इतना ही है -  में मिलने के लिये स्वयं तैलीय  . जल में मिलने को स्वयं जलीय होना ही होगा। नभ में मिलने के लिये स्वयं को नभाकार होना होगा। सत्य के पास जाने के लिये खुद को नंगा करने का साहस आपको जुटाना होगा। जब आप सत्य की ओर चलने की कोशिश करेंगे तो एक एक कर आपको अपने आवरण छोड़ना पड़ेगा। अपने ही  छोड़े हुए आवरण आप ही के सामने जब एक एक कर जब उतरते हुए आपके सामने आते चले जायेंगें तो हो सकता है आप विचलित हो जाईयेगा क्योंकि आपके ओढ़े हुये आचरणों में से असत्य की दुर्गन्ध आएगी। यह आपको आमूल चूल विचलित  देगी। आपका उतरता हुआ आचरण आपके चारों अन्य लोगों को भी विचलित कर देगी। 

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