हाँ ,मैनें ख्वाबों को थामा है
अरमानों को सुलाया है
कभी दाँत किचकिचा कर
कभी हौले से थपथपा कर।
बहारों को इंतजार करवाया
बसंत को आने से रोक दिया
उबला नहीं हूँ मैं आज तक
उफनता नहीं मैं आँच पर
फूल तोड़े नहीं तुम्हारी डाल के
शहद पर अधिकार जमाया नहीं।
चाँद सूरज मैंने बटने नहीं दिया
समंदर में दीवारें खड़ी होने न दी
नदियों को कमरे में बन्द नहीं किया
पहाड़ों के कपड़े उतरने नहीं दिया।
दीयों को बुझने नहीं दिया
रात भर तेल दिया , रखवाली किया।
तुम्हें चीखने की कोई जरूरत न थी
तुम मेरे रहते इत्मीनान से सोये तो हो।
अरमानों को सुलाया है
कभी दाँत किचकिचा कर
कभी हौले से थपथपा कर।
बहारों को इंतजार करवाया
बसंत को आने से रोक दिया
उबला नहीं हूँ मैं आज तक
उफनता नहीं मैं आँच पर
फूल तोड़े नहीं तुम्हारी डाल के
शहद पर अधिकार जमाया नहीं।
चाँद सूरज मैंने बटने नहीं दिया
समंदर में दीवारें खड़ी होने न दी
नदियों को कमरे में बन्द नहीं किया
पहाड़ों के कपड़े उतरने नहीं दिया।
दीयों को बुझने नहीं दिया
रात भर तेल दिया , रखवाली किया।
तुम्हें चीखने की कोई जरूरत न थी
तुम मेरे रहते इत्मीनान से सोये तो हो।
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