Friday, 28 November 2014

इन्सान टच स्क्रीन नहीं है - बहुत बड़ा एक कैनवास है जिस पर इरिवेर्सबल प्रोसेस के खतरे से खेलते हुए यत्न पूर्वक एक एक लकीर खींचते ,कूची से सावधानी से रंग भरते एक चित्र उकेरना पड़ता है जो लोगों को समझ में आये ,समझा भी पाये
 - तब जाकर एक मोनालिसा जैसा जीवन -इन्सान बनता है .
इन्सान नहीं है इंस्टैंट टच स्क्रीन. इस जीवन में रिस्टोर डिफाल्ट सेटिंग भी नहीं है .
आपके किसी भी गेजेट का कोई भी एप , कोई भी सेटिंग जीवन में काम नहीं आती . क्योंकि जीवन को न तो प्रीपेड बनाया जा सकता है , न इसकी प्री -प्रोग्रामिंग की जा सकती है ,इसकी यात्रा का कोई भी प्री दीफाईन्द पथ या त्रेजेक्टेरी नहीं हो सकती ,आपके सारे फार्मूले इस जीवन यात्रा को गवर्न नहीं कर सकते -
 इसे तो आपको अपने से एक एक पल जी कर -चल कर -कर कर ही आगे बढ़ना है .इसमें कोई वार्निंग डिस्प्ले नहीं बजेगा या दिखेगा - यदि यह है भी तो यह आपका अपना इन्त्युसं .
यह पोस्ट पेड भी नहीं है .इंस्टेंट पेमेंट और इंस्टेंट चार्ज -रिचार्गे - जीवन में ये सब इनबिल्ट है . वास्तवमे जीवन में जब चाहो जितना चाहो डेटा डाऊनलोड करो ,कन्जूम करो ,जब जहाँ जो चाहो एडिट करो बस एक बात ध्यान रखना जीवन में कुछ भी बैक गेयर में जाकर रिस्टोरे प्रीवियस सेटिंग नहीं है -
हाँ जीवन में आप सब कुछ - मैंने कहा' सब कुछ ' एडिट कर सकते हो ,सदैव आगे बढ़ सकते हो ,सब कुछ रिपेयर कर सकते हो --- पर हाँ यह सब मैनुअल ही और आपको अपने से ही करना होगा --- आप कर भी सकते हो ---- आज, अभी से लग कर देखो ,
पूरा का पूरा अक्श आप शून्य से निकाल ला सकते हो ,कुछ भी खुद ही रिपेयर कर सकते हो .
करो न ! कर सकते हो !!! करो ! अभी !!

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