सवार लहराता रहा चाबुक अपने सर के चारो ओर हवा में
सरसराती चाबुकि हवा बार बार घोड़े के कान के पास आती थी
सनसनाता चाबुक एक सिहरन पैदा करता था ,अयाल खड़े थे
बिजली सा चमक दिखाता ही दीखता था चाबुक का जलवा ---
बस इतने से ही लगातार घोडा सनसनाता रहा सरपट
चाल सारी चली , बड़की दोगामा , छोटकी दोगामा
एक्की , दुककी , दुलत्ती , चाल झपट , सरगम
चाबुक चला तो भी न चला पर घोडा तो उड़ता चला
सवारगिरी इसी का नाम है !!!!!!!
सरसराती चाबुकि हवा बार बार घोड़े के कान के पास आती थी
सनसनाता चाबुक एक सिहरन पैदा करता था ,अयाल खड़े थे
बिजली सा चमक दिखाता ही दीखता था चाबुक का जलवा ---
बस इतने से ही लगातार घोडा सनसनाता रहा सरपट
चाल सारी चली , बड़की दोगामा , छोटकी दोगामा
एक्की , दुककी , दुलत्ती , चाल झपट , सरगम
चाबुक चला तो भी न चला पर घोडा तो उड़ता चला
सवारगिरी इसी का नाम है !!!!!!!
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