Wednesday, 8 January 2014

meri ankahi kahani meri jubani-shyad kuchh bhi na chhupaya

कालेज प्रांगण में  आने जाने के क्रम में यह बात पता चल ही गयी कि कालेज में नाम  विद्यार्थियों में कुछ केवल इस लिए कालेज में दखिला लेते थे कि उससे उनकी शादी के वक्त दहेज कुछ अधिक मिलेगा। कालेज आने वाले  अधिकांश  युवक  अपने को मिलने वाले दहेज के बारे में बड़े गर्व से  अहवा उसके प्रस्ताव के बारे में चटकारे ले कर चर्चा करते थे। 
कुछ एक विद्यार्थी कालेज में प्रवेश करने  के  बाद  मिहनत करना   शुरू कर देते थे। मैंने ऐसे कुछ एक विद्यार्थियों  को बहुत करीब से देखा। इस वक्त इन विद्यर्थियों की वास्तविक उम्र २२-२३-२४  साल हो चुकी होती थी।  मुझे आश्चर्य होता था कि मेरी उम्र  १७ की। बाद में पता चला कि  कागज और सर्टिफिकेट में तो उनकी भी उम्र १६-१७ ही है। असल में असली उम्र और कागजी उम्र का यह गोरख धंधा सारी हिंदी पटटी में प्रचलित है। 

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