Saturday, 11 January 2014

भारतीय परिवेश में आज भी भावनाएँ सर्वाधिकंह्व रखती हैं। कहिये तो आम  भारतीय हाथ ,ह्रदय अथवा मस्तिष्क पर मन और भावनायें भारी होती हैऽअम भारतीय भावना केबिन जी ही नहीं सकता। नितांत अनपढ़ ,देहाती ,साधन विहीन गॅवार व्यक्ति तो छेड़ कर देखिये ,उसके अंदर आपको एक दार्शनिकता दिखेगी। उसके अंदर आपकोएकागयत के प्रति अगाध श्रद्धा दिखेगी। उसके अंदर एक अज्ञात भय ,आदर ,संकोच दिखेगा। यही  आलसी ,कायर और भाग्यवादी बनता है। दूसरी और यही उसे लम्बी यात्रा के लिए तैयार कटा है ,उसे बल देता है।
सच तो यह है कि छोटी यात्राओं की तयारी लम्बी -बड़ी यात्राओं की तयारी से भिन्न होगी ही।  

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