Monday, 20 January 2014

पानी पानी की बात है ,
एक होता है समुद्र का
समुद्र गहरा पानी खारा।

यही खारा पानी जब निकले
समुद्र से भी गहरी आँख से
तो डूब जाते है सारे सैलाब
धूल जाते है  सारे पाप.।

दुःखी आँख का निकला पानी
अधिक खरा होता है
खुशियों में भी आँख  भर जाती है
शायद यह पानी कम खरा होता है

पानीदार आँखों का यो क्या कहना
अच्छों अच्छों को पानी पिला दे 
पानी आँखों का जिन्दा ही भला
आँखों का पानी मरने पर कौन पूछे

आँखों के पानी में आब होती है
पानी से आँखों की शान होती  है
है पानी तभी तक जान होती है 
उतरा पानी तो सब बेजान होती हअ

आँखों के पानी का मुकाबले
बस आदमी की मिहनत का पसीना
इसी पसीने बसाये हैं ये सारे शहर
पहाड़ सारे इसी के काट रास्ते बने।













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