तलाश जरी है
मेरी
मेरे ही द्वारा
मेरे ही अंदर
क्योंकि
मेरे अंदर
छुपे बैठे है
छद्म वेशी
बहुत सारे मै
उनमे खो गया हुँ
मैं
मुझे ढूंढ निकालो
अपनी ही भूल भुलैया से
मैं जीना चाहता हूँ
अपने आप को
मैं को
किसी आवरण के बिना
जैसा हू वैसा ही अपने आप को।
मेरी
मेरे ही द्वारा
मेरे ही अंदर
क्योंकि
मेरे अंदर
छुपे बैठे है
छद्म वेशी
बहुत सारे मै
उनमे खो गया हुँ
मैं
मुझे ढूंढ निकालो
अपनी ही भूल भुलैया से
मैं जीना चाहता हूँ
अपने आप को
मैं को
किसी आवरण के बिना
जैसा हू वैसा ही अपने आप को।
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