Wednesday, 15 January 2014

वही नदी ,वही धारा ,वही पानी
फिर लौट कर उसी घाट पर
फिर उसी किनारे पर
कभी नहीं आता
कभी नहीं मिल पाता
बदलता रहता है
सब कुछ
हर पल
कुछ भी पहले जैसा नहीं रह जाता
न वह नदी ,
न जल धार
न किनार

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