हर फूल खिले हर गमले में
न हमें गिराना ,न तुम गिरो
न चोटिल हो न बझिल हो
न मिले कभी हम हमले में।
न तंज कभी न हो मजाह
ब्यंग बाण न चला करे
न अड़ा करो ,न लड़ा करो
लचक रहे हर जुमले में।
न मेरा चूल्हा ,न मेरी रोटी
साँझा चूल्हा जला करे
अकेले नहीं ,हम भी नहीं
सारा कुनबा चला करे।
गीत न सावन भादो के हो
बात न खाली बहारों की
काली रातें पतझड़ वाली
बारहों महीने हजारों की।
न हमें गिराना ,न तुम गिरो
न चोटिल हो न बझिल हो
न मिले कभी हम हमले में।
न तंज कभी न हो मजाह
ब्यंग बाण न चला करे
न अड़ा करो ,न लड़ा करो
लचक रहे हर जुमले में।
न मेरा चूल्हा ,न मेरी रोटी
साँझा चूल्हा जला करे
अकेले नहीं ,हम भी नहीं
सारा कुनबा चला करे।
गीत न सावन भादो के हो
बात न खाली बहारों की
काली रातें पतझड़ वाली
बारहों महीने हजारों की।
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