Saturday, 18 January 2014

एक ही अनुभव के अनेक यथार्थ होते हैं। एक ही प्रश्न के आगे पीछे कई  रहस्य ,प्रश्न ,उत्तरों  का पूरा सिलसिला हुआ करता था। आज भी होते ही है। 

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