Wednesday, 15 January 2014

love and despair

जितना एक गड़ेरिया अपनी एक भेड़ के बीमार हो जाने पर चिंतित हो जाता है, उदास हो उठता है या अपनी भेड़ के  नवजात मेंमनेके लिए विकल होता है उतना तो यह आसमान भी अपने चाँद सितारों , नक्षत्रों ,ग्रहों के लिए नहीं होता।
प्रेम ही निर्णायक है।
बृक्ष नित नये पत्ते निकालते रहते है ,रंग बिरंगे  फूलों को ,फलों को नित नया जीवन देते रहते हैं, पर  हो पुराने हो कर झड़ते पत्तों ,फूलों  के लिए कभी विलाप नहीं करते।

नयी सृष्टि आवेगी ही , वहाँ भी हमारा ही योगदान होगा ही , केवल  कुछ मूल्य बदलेंगे ,उन्हें समझ भर लेना है  उन्हें आत्मसात् करना  है ,नयी ब्याख्या को रोका नहीं जा सकता,उनके अनुरूप कुछ नये ढंग से संमझना है।
नित नूतन ,यह है नृत्य नूतन का -नवीन नूतन का अभिसार जन्म देता नित नये नूतन को,करें स्वागत हम नूतन का।
बिता सो तो बीत ही गया ,अब तो आगे  चलना है
बात गई सो बीत गई ,अब बस आगे बढ़ना है। .



गिरना अपनी नजऱों     

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