पुलिस मेनुअल की तरह जजेज मैनुअल भी बनाया जा सकता है।
उसका एक हिस्सा ट्रैनिंग मैनुअल के रूप में विकसित किया जा सकता है. , दूसरा दैनिक दिनचर्या - न्यायाधीश की , न्यायलय की ,न्यायालय-कार्यालय की , न्यायालय के कर्मचारियों की - विकसित किया जा सकता है।
न्यायलय की कार्यवाही के कुछ आदर्श मापदड , पद्धति इस मैनुअल का हिस्सा बनाया जा सकता है।
यह सब बिलकुल प्रतिदिन की कार्यवाहियों के लिए निर्देशात्मक या बिखयात्मक हो सकते है।
इस मैनुअल का एक हिस्सा अधिवक्ता व्यवहार पर तैयार किया जा सकता है तथा इसके लिए बार काउन्सिल कि मदद ली जा सकती है।
एक भाग इन्वेस्टमेंट -इंफ्रास्ट्रक्चर , मैनेजमेंट ,फाइनेंस , एडमिनिस्ट्रेसन , प्लानिंग ,एच आर मेनेजमेंट , रिस्क मेनेजमेंट, क्राइसिस मेनेजमेंट,टाइमलिनेस ,समय सारिणी ,टाइम टेबल ,टाइम मैनेजमेंट , लिटिगेंट साइक्लोजी , बालक साइक्लोजी ,,दाम्पत्य जीवन की सामाजिक साइक्लोजी , महिला-विशिष्टीकरण , अन्य अपंग -अन्यथा योग्य ,अन्यथा पीड़ित ,विधिक रूप से वंचित , विधिक सहायता के नियमितीकरण , आकस्मिक विधिक सहायता ,सामूहिक न्याय प्रदायी व्यवस्था , विकट परिस्थितियो में विधि का स्वरुप, व्याख्या एवं असामान्य परिस्थितियों में विधि तथा न्याय के बीच संतुलन आदि पर छोटे छोटे अध्याय तैयार किये जा सकते हैं। विधिक तथा न्यायिक तथा मुक़दमेंबाजी का आर्थिक पक्ष की भी गम्भीर अद्ध्ययन के साथ चर्चा होनी चाहिए।
समाज के विभिन्न वर्गों , समुदायों ,संस्थाओं की विधि तथा न्याय व्यवस्था से अपेक्षा , संघर्ष तथा सामान्य मानवीय मनोदशा ,राज्य की आवश्यकता , उपादेयता,राज्य तथा विधि की अपेक्षा,राज्य के दायित्व ,राज्य के प्रति दायित्व पर भी इस मैनुअल मे सामग्री हो सकती है।
विधि के कैप्सूल फार्म में कंटेंट दिए जा सकते हैं। इस प्रकार के मैनुअल राष्ट्रीय स्तर पर बनाये जा सकते है ,राज्य स्तर के लिए कुछ जोड़ा या घटाया जा सकता है,इसी में स्थानीय स्तर की सामग्री परिशिष्ट के रूप में जोड़ कर इसे स्थानीय प्रयोजन के लिए विकसित किया जा सकता है।
भिन्न भिन्न संस्था, कानून से जुड़ी अन्य संस्थाओं के लिए भी इस में अलग से विशेष सामग्री डाल कर तैयार किया जा सकता है।
इस प्रकार के मैनुअल की अवधारणा पर चर्चा की जा सकती है
उसका एक हिस्सा ट्रैनिंग मैनुअल के रूप में विकसित किया जा सकता है. , दूसरा दैनिक दिनचर्या - न्यायाधीश की , न्यायलय की ,न्यायालय-कार्यालय की , न्यायालय के कर्मचारियों की - विकसित किया जा सकता है।
न्यायलय की कार्यवाही के कुछ आदर्श मापदड , पद्धति इस मैनुअल का हिस्सा बनाया जा सकता है।
यह सब बिलकुल प्रतिदिन की कार्यवाहियों के लिए निर्देशात्मक या बिखयात्मक हो सकते है।
इस मैनुअल का एक हिस्सा अधिवक्ता व्यवहार पर तैयार किया जा सकता है तथा इसके लिए बार काउन्सिल कि मदद ली जा सकती है।
एक भाग इन्वेस्टमेंट -इंफ्रास्ट्रक्चर , मैनेजमेंट ,फाइनेंस , एडमिनिस्ट्रेसन , प्लानिंग ,एच आर मेनेजमेंट , रिस्क मेनेजमेंट, क्राइसिस मेनेजमेंट,टाइमलिनेस ,समय सारिणी ,टाइम टेबल ,टाइम मैनेजमेंट , लिटिगेंट साइक्लोजी , बालक साइक्लोजी ,,दाम्पत्य जीवन की सामाजिक साइक्लोजी , महिला-विशिष्टीकरण , अन्य अपंग -अन्यथा योग्य ,अन्यथा पीड़ित ,विधिक रूप से वंचित , विधिक सहायता के नियमितीकरण , आकस्मिक विधिक सहायता ,सामूहिक न्याय प्रदायी व्यवस्था , विकट परिस्थितियो में विधि का स्वरुप, व्याख्या एवं असामान्य परिस्थितियों में विधि तथा न्याय के बीच संतुलन आदि पर छोटे छोटे अध्याय तैयार किये जा सकते हैं। विधिक तथा न्यायिक तथा मुक़दमेंबाजी का आर्थिक पक्ष की भी गम्भीर अद्ध्ययन के साथ चर्चा होनी चाहिए।
समाज के विभिन्न वर्गों , समुदायों ,संस्थाओं की विधि तथा न्याय व्यवस्था से अपेक्षा , संघर्ष तथा सामान्य मानवीय मनोदशा ,राज्य की आवश्यकता , उपादेयता,राज्य तथा विधि की अपेक्षा,राज्य के दायित्व ,राज्य के प्रति दायित्व पर भी इस मैनुअल मे सामग्री हो सकती है।
विधि के कैप्सूल फार्म में कंटेंट दिए जा सकते हैं। इस प्रकार के मैनुअल राष्ट्रीय स्तर पर बनाये जा सकते है ,राज्य स्तर के लिए कुछ जोड़ा या घटाया जा सकता है,इसी में स्थानीय स्तर की सामग्री परिशिष्ट के रूप में जोड़ कर इसे स्थानीय प्रयोजन के लिए विकसित किया जा सकता है।
भिन्न भिन्न संस्था, कानून से जुड़ी अन्य संस्थाओं के लिए भी इस में अलग से विशेष सामग्री डाल कर तैयार किया जा सकता है।
इस प्रकार के मैनुअल की अवधारणा पर चर्चा की जा सकती है
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