दर्द मेरा अपना अपनों का
अपनों से अपनों के लिये
जिस रास्ते उपटता है
उसी रास्ते सिमटता क्यों नहीं।
यह दर्द टीस टीस क्यों मार रहा है
तुम्हारी दवा और दुआ के बाद भी
मीठा मीठा यह दर्द ,बार बार चला आता
मिटाये भी मिटता क्यों नहीं।
अपनों से अपनों के लिये
जिस रास्ते उपटता है
उसी रास्ते सिमटता क्यों नहीं।
यह दर्द टीस टीस क्यों मार रहा है
तुम्हारी दवा और दुआ के बाद भी
मीठा मीठा यह दर्द ,बार बार चला आता
मिटाये भी मिटता क्यों नहीं।
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