वैसे भी मैं छिपाऊंगा क्या , छिपाने लायक तो कुछ है ही नहीं। जो कुछ भी है ,सब कुछ आपके और मेरे बीच से ही तो दिया -लिया -किया है। ऐसा कुछ नहीं जो आप में है और मेरे में नहीं। सच तो यह है कि हम सब मूल रूप से एक ही है और हम सब में भी सब कुछ वही कुछ है जो एक दूसरे में है , अनुपात भेद भर है। किसी में कोई मात्रा कम तो किसी में कोई मात्रा अधिक - बस इतना ही भेद भर है। थोडा बहुत संस्कार संयम भेद हो सकता है। संगति ,शिक्षा ,दृष्टि ,दर्शन ,श्रवण ,जलवायु ,धरती ,समुद्र ,पहाड़ आदि का संस्कार -सुविधा भेद भर है।
संस्कार एक साथ तीन धरातल पर काम करते हैं।
संस्कारों में एक ऊर्जा होती है।
संस्कार एक साथ तीन धरातल पर काम करते हैं।
संस्कारों में एक ऊर्जा होती है।
No comments:
Post a Comment