काला काले को नहीं छोड़ेगा चाहे इशरतप्रिय ही बनना पड़े या मिटींग करना पड़े या ऊँच -नीच करना कहना पड़े ।
Thursday, 21 December 2017
अंग्रेजों ने ताकतवर अपराधियों को ब्रीटीश क्राउन के प्रति वफादार बनाये रखने के लिये वर्तमान ढाँचे वाली न्यायब्यवस्था विकसित की थी।पिड़ित की उपेक्षा और अपराधी पर राज्य का प्रभाव, प्रभुत्व। अपरिधी का भविष्य अब हरदम के लिये क्राउन के हाथ । विक्टिम को नेपथ्य में रख अपराधी को डरा उपनिवेशवादी ब्यवस्था के लिये उपयोग। यह ब्यवस्था पिड़ित को न्याय देने के लिये नहीं , अपराधी को राज्य की कठपुतली बना कर रखने के लिये है। अपरिधी को राज्य के संरक्षण में निर्भय बनाने के लिये है । जिसे चाहो बचाओ, जिसे चाहो लटकाओ। जिसे चाहो अन्दर कर दो , जिसे चाहो बाहर कर दो ।
न्याय से कानून या इस ब्यवस्था को कोई लेना देना नहीं।
न्याय से कानून या इस ब्यवस्था को कोई लेना देना नहीं।
Monday, 11 September 2017
और कितने दरोगा , सिपाही अभियुक्त को पकड़ने , पीछा करने , अनुसंधान में मर खप जाते है, मार दिये जाते है उन्हें हमने आपने क्या उनके परिवार का पुत्र-पति लौटा दिया ?
बनवाया भी किसी ने की नहीं। बनवाने की सलाह भी दी की नहीं। नहीं बनता है तो हम बनवा देंगे कौन कहता है हम तो खरीदेंगे ही - हमारा भ्रष्टाचार ब्रश्ताचार नहीं। हम तो करेंगे ही नहीं बिकोगे तो जान मर गेंगे , बच्चों को उठा लेंगे - तुम भ्रष्टाचार करो।बचाव पक्ष के वकील क्या क्या हथकंडे अपनाते है , आप से अधिक कौन जनता है। तबल पर बैठ क्र क्या होता है आप से बेहतर कौन जानता है कानून से पहले समाज बदलो
ठीकेदार नहीं करता , राशन दुकानदार नहीं करता , ब्यापारी नहीं करता , स्टाम्प वेंडर नहीं करता, मुखिया नहीं करता , नेता नहीं करता ,वार्ड कमिश्नर नहीं करता , ताईद नहीं करता , मैं नहीं करता , मेरा भाई नहीं करता , मेरा रिश्तेदार नहीं करता - और यदि करता है तो "जन" नहीं है ! यही न !!
या भ्र्ष्टाचारी दूसरे उपग्रह से आते हैं और भ्र्ष्टाचार क्र वापस दूसरे ग्रह में चले जाते है।
मैं , मेरा , मेरे - हम सब दूध के नहाये ?
या भ्र्ष्टाचारी दूसरे उपग्रह से आते हैं और भ्र्ष्टाचार क्र वापस दूसरे ग्रह में चले जाते है।
मैं , मेरा , मेरे - हम सब दूध के नहाये ?
Sunday, 10 September 2017
Saturday, 9 September 2017
Friday, 8 September 2017
किसी लेखक , संवाददाता , रिपोर्टर , मिडिया हॉउस की प्रस्तुति आपको अच्छी नहीं लगी , मनोनुकूल नहीं है - उसे मत पढ़िये। उसकी उपेक्षा कीजिये। जबरदस्ती तो आपको पढ़ने कहा नहीं जा रहा।
मैं हूँ या आप , किसी को लाठी ले सड़क पर अशान्ति फ़ैलाने का अधिकार नहीं।
हाँ , यदि आप अपने अभिब्यक्ति के अधिकार की रक्षा चाहते है तो उनके भी अभिब्यक्ति के अधिकार की रक्षा होनी चाहिए।
घृणा फैलाईयेगा तो घृणा ही मिलेगी।
मैं हूँ या आप , किसी को लाठी ले सड़क पर अशान्ति फ़ैलाने का अधिकार नहीं।
हाँ , यदि आप अपने अभिब्यक्ति के अधिकार की रक्षा चाहते है तो उनके भी अभिब्यक्ति के अधिकार की रक्षा होनी चाहिए।
घृणा फैलाईयेगा तो घृणा ही मिलेगी।
पत्रकारिता शब्द-भाव-प्रवाह -प्रभाव समानुपाति सामाजिक सेवा -प्रशिक्षण- परामर्श रही है , एक साथ सारे समाज तक ब्यापक पहुंच के कारण इसमें अतिरिक्त सावधानी और समझदार संयम की आवश्यकता महसूस की गई। पत्रकारिता आज बाजार वाद से -ब्यक्तिवाद से प्रभावित हो दायित्वहीन वाचाल लेखन हो चली है। सुधि पत्रकार इस और सचेत भी है। नये पत्रकारों को पत्रकारिता के ब्यापक प्रभाव और उसके कारण उतपन्न दायित्व से करवाया जा रहा है। नई उम्र के पत्रकारों में विचार-दायित्व गाम्भीर्य आने में समय लगता है।
आप बिना फीस के वकील क्यों बन रहे हैं जी ? उनके वकील बहाल हुए है ? वकालत स्वीकृत सामाजिक , विधिक व्यवहार है। वकील से निष्पक्षता नहीं अपने वादार्थी के प्रति पूर्ण निष्ठा की अपेक्षा होती है।
मिडिया में पेड़ मिडिया गाली है। पक्षपाती मिडिया निन्दा का पात्र है। मिडिया को कुछ जोड़ने घटाने से बचना चाहिये। मैं मिडिया - मेरा जो मन जैसे मन , जब मन , जब तक मन दिखाऊँ दिखाऊँ - इस मानसिकता से बचना चाहिये
मिडिया में पेड़ मिडिया गाली है। पक्षपाती मिडिया निन्दा का पात्र है। मिडिया को कुछ जोड़ने घटाने से बचना चाहिये। मैं मिडिया - मेरा जो मन जैसे मन , जब मन , जब तक मन दिखाऊँ दिखाऊँ - इस मानसिकता से बचना चाहिये
Thursday, 7 September 2017
मेरे जिगर के टुकड़ों , चोरी से सरकार बनी है चोरी से हम पास करेंगे , कर्पूरी डिवीजन , मिश्रा-डिग्री , खुल्लम खुल्ला लालू राज , राजपूत विश्वविद्यालय , ब्राह्मण विश्विद्यालय , ..... , थिन पेपर गुरूजी , कोर्स- कम्प्लीट क्लासेस , समझने-समझाने में टाइम वेस्ट नहीं टीचिंग - ये सब ( केवल केदार पांडेय को छोड़ सब )
Wednesday, 6 September 2017
Tuesday, 5 September 2017
Monday, 4 September 2017
Sunday, 3 September 2017
Saturday, 2 September 2017
Friday, 1 September 2017
Wednesday, 30 August 2017
मारवाड़ी सम्मेलन से मेरा जुड़ाव क्रमिक हुआ। ( १९७५ ) पूज्य हरिराम जी गुटगुटिया , खेमचंद्र जी चौधरी के पास में बाल सुलभ उत्सुकता में समाज और सम्मेलन के बारे में जानने को अकारण चला जाता था। याद पड़ता है एक रक्षपाल शास्त्री जी थे। एक मातादीन जी गोयल थे। इमरजेंसी का समय था, या ठीक उसके बाद का समय था। आज के झारखंड के चाकुलिया में नमक के कारण समाज के भाईयों पर केश मुकदमे क्र दिए गए थे। उसमे बाद में भारूका जी जो बाब में माननीय उच्चन्यायालय के न्यायाधीश भी बने , ने अपनी विद्व्ता से वः केश जीता। पर मेरा मन इस घटना पर बड़ा खट्टा हुआ। मुझे सम्मेलन की पत्रिका का पटना का पता मिला , मैंने एक पत्र लिखा। पत्रिका में वह छपा। प्रोफेसर विश्वनाथ जी ने उसे सराहा और उस पर सम्पादकीय लिखा। देहरी ों सोन के मरोडिया जी थे - विनोद मरोडिया। आश्चर्यजनक सामाजिक उत्साह और संगठन करता। किसी क्रम में भागपुर निवासी शंकरलाल जी बाजोरिया से अपने प्रारम्भिक वाम-विचाराग्रह के लिये डांट भी १९७७ -१९७८ के आस पास पड़ी थी।
Tuesday, 29 August 2017
Monday, 28 August 2017
Sunday, 27 August 2017
Saturday, 26 August 2017
Friday, 25 August 2017
Thursday, 24 August 2017
Wednesday, 23 August 2017
Tuesday, 22 August 2017
Monday, 21 August 2017
Sunday, 20 August 2017
Saturday, 19 August 2017
Friday, 18 August 2017
निन्यानबे प्रतिशत को पता ही नहीं की काला , गन्दा , भ्र्ष्टाचार , अनुचित होता क्या है , पैदा कब और कहाँ किसके द्वारा क्यों किया जाता है। उसने शायद नाम भर ही सुना है। वह अनुचित-अनैतिक आचरण को जन्म से ही ब्यवहार में अपने से बड़ों के माध्यम से देखते आया है और इसे ही सामान्य प्राकृतिक सामाजिक ब्यवहार मंटा आ रहा है।
काला , गन्दा , भ्र्ष्टाचार , अनुचित संगो पांग समझाया दिखाया बतलाया ही नहीं गया ! समझ में आवे तो कैसे। इसका स्वरूप छिपाया जाता है। इसे सदाचार के रूप में ही सिखाया बताया जाता है।
काला , गन्दा , भ्र्ष्टाचार , अनुचित संगो पांग समझाया दिखाया बतलाया ही नहीं गया ! समझ में आवे तो कैसे। इसका स्वरूप छिपाया जाता है। इसे सदाचार के रूप में ही सिखाया बताया जाता है।
Thursday, 17 August 2017
Wednesday, 16 August 2017
लिखते हो भाई , पर इत्ता खस्ता कच्चा माल दिल-दिमाग की किस बगिया में कब कैसे ऊगा -बढ़ा -फूला -फला लेते हो - और कैसे इतना टटका टटका परोसते हो - कभी कभी झाल , कभी टेस्टी पंचमेला स्वाद , कभी चूँटी काटते से , कभी तलवार भांजते से , कभी जमाने से लड़ते से - कभी इत्मीनान नहीं रहती कलम आपके हाथों , रात-रात जगाते से.... कैसे रच डालते हो यह अद्भुत संसार आप- वीरू भाई
Tuesday, 15 August 2017
Monday, 14 August 2017
Sunday, 13 August 2017
भाई ! लड़े तो वे भी और वीभत्स रूप से अधर्म युद्ध लड़े। म्लेच्छ -असुर आदि सभी एक ही विश्वास धारा के थे। शैव - वैष्णव भी एक ही धारा के थे। बज्रयान -हीन यान , के बीच का संघर्ष। कितने खूनी युद्ध हुए। कलिंग का युद्ध ? धर्म के नाम पर हमारे यहाँ शास्त्र बताते है - वीभत्स युद्ध हुए , नर ( राक्षस ) सँहार हुए। लोगों ने कैसी कैसी शपथ ली धर्म के नाम पर
Thursday, 10 August 2017
Wednesday, 9 August 2017
Sunday, 6 August 2017
Saturday, 5 August 2017
Friday, 4 August 2017
न भूत से डरा ,न आज से मन भरा ,न की सिहरन, न कोइ महान ! हाथ मेंन भूत से डरा ,न आज से मन भरा ,न की सिहरन, न कोइ महान ! हाथ में हथौड़ा , छैनी , दाँत पे दाँत चढ़े ,वक्त की छाती पर एक निशान ! हथौड़ा , छैनी , दाँत पे दाँत चढ़े ,वक्त की छाती पर एक निशान !न भूत से डरा ,न आज से मन भरा ,न की सिहरन, न कोइ महान ! हाथ में हथौड़ा , छैनी , दाँत पे दाँत चढ़े ,वक्त की छाती पर एक निशान !
किस्से तोता-मैना मुझे नहीं सुहाता.
राजा की विरुदावली लिखूंगा ,गाऊंगा नहीं।
शमा-परवाना -हुस्न-हसीन श्रृंगार रस ! बस भी करो।
मुझे भगवान के नाम पर काहिल -जाहिल मत बनाओ।
जाना तो है ही , चला भी जाऊँगा ही ,
कुछ कह-कर -सीख -सिखा -देख -दिखा , कह -सुन जाने भर दम दो।
सब कुछ यहीं का मेरा तुम्हारा ही होगा , किसी जन्नत या दोजख का जिक्र तक नहीं..
तुम्हारा और मेरा भोगा केवल सच सच , और कुछ भी नहीं।
राजा की विरुदावली लिखूंगा ,गाऊंगा नहीं।
शमा-परवाना -हुस्न-हसीन श्रृंगार रस ! बस भी करो।
मुझे भगवान के नाम पर काहिल -जाहिल मत बनाओ।
जाना तो है ही , चला भी जाऊँगा ही ,
कुछ कह-कर -सीख -सिखा -देख -दिखा , कह -सुन जाने भर दम दो।
सब कुछ यहीं का मेरा तुम्हारा ही होगा , किसी जन्नत या दोजख का जिक्र तक नहीं..
तुम्हारा और मेरा भोगा केवल सच सच , और कुछ भी नहीं।
मोहब्बत से जंग नहीं होती , पर मोहब्बत में जंग जरूरी है।
जरूरी जंग फर्ज है।
गुनाह बर्दास्त करना अव्वल गुनाह है।
रही बात जंग के बाद की तो इज्ज़त वो ज़िल्लत तो उसी की रजा भर है।
पहली च्वायस माफ़ कर दो यदि नाइंसाफी आप के साथ हो ,और आप को माफ़ करने का हक हो।
यदि नाइंसाफ़ी गैरों के साथ है तो इंसाफ के लिए सब कुछ लुटा डालो।
और दिनी रास्ते पर अपने ईमान पर भरोसा करो।
जरूरी जंग फर्ज है।
गुनाह बर्दास्त करना अव्वल गुनाह है।
रही बात जंग के बाद की तो इज्ज़त वो ज़िल्लत तो उसी की रजा भर है।
पहली च्वायस माफ़ कर दो यदि नाइंसाफी आप के साथ हो ,और आप को माफ़ करने का हक हो।
यदि नाइंसाफ़ी गैरों के साथ है तो इंसाफ के लिए सब कुछ लुटा डालो।
और दिनी रास्ते पर अपने ईमान पर भरोसा करो।
Thursday, 3 August 2017
Wednesday, 2 August 2017
Tuesday, 1 August 2017
Monday, 31 July 2017
Sunday, 30 July 2017
Wednesday, 26 July 2017
अपने न्यायालय से भिन्न विषयों पर ,अथवा सामान्य विधिक दर्शन पर लिखने के लिए बहुत कुछ है।
आपकी शहीद के प्रति भावना और संस्मरण देख कर अच्छा लगा। आप सशक्त लेखनी के धनी है।
साहित्यिक अथवा न्यायशास्त्रीय विषयों पर लिखें। अपने उच्च न्यायालय के अथवा उच्चतम न्यायालय के न्यायनिर्णयन पर टिका टिप्पणी से बचे. अपने न्यायालय की किसी घटना , मुकदमे , परिस्थिति पर चर्चा को आमंत्रित न करें।
आपका किखा संस्मरण पसंद आया। न्यायालय का आपका काम अच्छा माना जाता है।
आपकी शहीद के प्रति भावना और संस्मरण देख कर अच्छा लगा। आप सशक्त लेखनी के धनी है।
साहित्यिक अथवा न्यायशास्त्रीय विषयों पर लिखें। अपने उच्च न्यायालय के अथवा उच्चतम न्यायालय के न्यायनिर्णयन पर टिका टिप्पणी से बचे. अपने न्यायालय की किसी घटना , मुकदमे , परिस्थिति पर चर्चा को आमंत्रित न करें।
आपका किखा संस्मरण पसंद आया। न्यायालय का आपका काम अच्छा माना जाता है।
Tuesday, 25 July 2017
जज को ब्यक्ति-समाज-ब्यवस्था , भूत-वर्तमान -भविष्य के बीच संतुलन का दायित्व है।
स्वयं एक ब्यक्ति हर स्थिति में नीतियों का इतना दबाव सहन नहीं कर पाता अतएव अपने अधिकार की अंतिम सीमा तक सुरक्षा नहीं कर पाता।
अधिवक्ता को समाज से केवल ब्यक्ति के पक्ष में अंत तक खड़े रहने का अधिकार और प्रशिक्षण प्राप्त है।
और अधिवक्ता सामाजिक - नैतिक - कालिक दबाव में भी ब्यक्ति के अधिकारों की रक्षा ब्यवसायिक चातुर्य से करते है , अपनी ब्यक्तिगत सामाजिक निष्ठा और मूल्यों को हानि पहुंचाए बिना।
स्वयं एक ब्यक्ति हर स्थिति में नीतियों का इतना दबाव सहन नहीं कर पाता अतएव अपने अधिकार की अंतिम सीमा तक सुरक्षा नहीं कर पाता।
अधिवक्ता को समाज से केवल ब्यक्ति के पक्ष में अंत तक खड़े रहने का अधिकार और प्रशिक्षण प्राप्त है।
और अधिवक्ता सामाजिक - नैतिक - कालिक दबाव में भी ब्यक्ति के अधिकारों की रक्षा ब्यवसायिक चातुर्य से करते है , अपनी ब्यक्तिगत सामाजिक निष्ठा और मूल्यों को हानि पहुंचाए बिना।
Monday, 17 July 2017
Friday, 14 July 2017
अभिब्यक्ति की स्वतंत्रता हर बार केवल एक पक्ष को ही क्यों चाहिये - गालियाँ देने के लिए , टुकड़े कर देने - करवा देने के लिए , बर्बादी तक के लिए , वंदे मातरम के विरोध के लिए , ... ट्टो के लिए प्रार्थना करने के लिए , .... द्दा...... ,ला...न की प्रसंसा गीत गाने के लिए , कस्साब की फाँसी का विरोध करने के लिए , सेना को बददुआ देने के लिए , देवी देवताओं की मनचाही विकृत पेंटिंग के लिए
Thursday, 13 July 2017
Wednesday, 12 July 2017
लोकतंत्र भीड़ के अनुरूप या भीड़ का सम्मान करने की ब्यवस्था का नहीं वरन कानून और न्यायालय का सम्मान करने वाली व्यवस्था का नाम है।
लोकतंत्र की पूर्णता सम्पूर्ण बहुमत सम्पन्न प्रधानमन्त्री द्वारा न्यायालय का सम्मान करते समय ही दीखता है।
न्यायालय बहुमत से नहीं न्यायमत से भी सोचता है , इसी न्यायमत के प्रति श्रद्धा ही लोकतन्त्र है।
लोकतंत्र की पूर्णता सम्पूर्ण बहुमत सम्पन्न प्रधानमन्त्री द्वारा न्यायालय का सम्मान करते समय ही दीखता है।
न्यायालय बहुमत से नहीं न्यायमत से भी सोचता है , इसी न्यायमत के प्रति श्रद्धा ही लोकतन्त्र है।
Tuesday, 11 July 2017
यही श्रेष्ठता का दावा तो आप हजारों सालों से करते आये हो और मुझे पापी , अधम , नीच बताते आये हो। अब मैं जान गया हूँ की मैं पापी नहीं था ,अधम नहीं था , आपने मेरा बौद्धिक , शारीरिक ,आत्मिक वंशानुगत शोषण किया , मुझे बरगलाया , मेरी सदाशयता का निर्मम अनुचित लाभ उठाया। आपने बलशाली धनशाली और कुटिल बुद्धिशाली ५-७ लोगों का जघन्य जोट्टा बनाया और मेरी , मेरे परिवार की , मेरे बाल बच्चों की , मेरी महिला सदस्यों की गरिमा से खेलते रहे।
अब यह रुकेगा ही।
अब यह रुकेगा ही।
अधिसंख्य ग्लानि -अपमान -अत्याचार मेरा भोगा हुआ सत्य है , गॉवों के बालकों , वृद्ध , महिलाओं के माध्यम से देखा समझा हुआ है , कर्तब्य निर्वहन में भी साक्षात् सूजी हुई आँखों से चिल्लाती जुबान को शरीर थरथराते देखा है , थोड़ा सा सहारा मिलते ही निर्बल लाचार कैसे ुधिया जाता है - मेरे दग्ध हृदय - दिल -दिमाग -लेखनी से पूछिए।
Monday, 10 July 2017
संविधान में सभी के बराबरी से हैं परेशान।
सबको मिला समान अधिकार और वोट - उससे भी परेशान।
पहले हजारों साल के अन्याय का निवारण - अस्पृश्यता के उन्मूलन से परेशान।
और पूर्व में अवसर वंचित वर्ग के प्रति किये गए न्याय के प्रयास से परेशान !
अब क्या कभी चरणामृत नहीं पीला पाएँगे।
चरण प्रच्छालन करवावल जाओ यजमान - अब क्या कभी नहीं ?
हाय , अब हमारी चरण रज का क्या होगा ?
सबको मिला समान अधिकार और वोट - उससे भी परेशान।
पहले हजारों साल के अन्याय का निवारण - अस्पृश्यता के उन्मूलन से परेशान।
और पूर्व में अवसर वंचित वर्ग के प्रति किये गए न्याय के प्रयास से परेशान !
अब क्या कभी चरणामृत नहीं पीला पाएँगे।
चरण प्रच्छालन करवावल जाओ यजमान - अब क्या कभी नहीं ?
हाय , अब हमारी चरण रज का क्या होगा ?
बस हमारा चोरी कर लिया स्वाभिमान लौटा दो !
चरणरज सर पर लगाना जो सिखाया वह भुला दो।
चरणामृत पीना घुट्टी में पिलाया उसे हटा दो।
हमारे शारीरिक श्रम के मूल्य को न्यूनतम रखने और बेगारी के षड्यंत्र का पर्दाफाश कर दो।
हमे छू कर , हमारे साथ सो कर हम पर एहसान करने की परम्परा कैसे डाली बता तो दो।
ये स्वर्णजड़ित मुकुट - सिंहासन तुमने किस पुरुषार्थ से अरजे बता तो दो।
मुझे पूर्वजन्म और बाप-दादों के पाप से डराना कब तक बंद कर दोगे , बता दो।
मैं तुम्हारे घर की झूठन खा किस दिन पाप मुक्त होऊंगा बताते जाओ।
मुझे कब तक फेंक कर चवन्नी और दो बासी रोटी मिलेगी।
मेरा पानी का बरतन कब तक वहाँ कोने में अलग थलग पड़ा रहेगा।
मुझे मेरी संतान का नाम कब तक सोमारू , मंगरा , बुधना , बिफना , सुकरा , शनिचरा , ऐतवारु यही सब रखना ही होगा।
मुझे घोड़े पर चढ़ने कब मिलेगा।
मैं अपनी बेटी के ब्याह में कब बाजा बजा पाउँगा।
मैं कब आपको मालिक बोलना बंद कर सकूंगा।
चरणरज सर पर लगाना जो सिखाया वह भुला दो।
चरणामृत पीना घुट्टी में पिलाया उसे हटा दो।
हमारे शारीरिक श्रम के मूल्य को न्यूनतम रखने और बेगारी के षड्यंत्र का पर्दाफाश कर दो।
हमे छू कर , हमारे साथ सो कर हम पर एहसान करने की परम्परा कैसे डाली बता तो दो।
ये स्वर्णजड़ित मुकुट - सिंहासन तुमने किस पुरुषार्थ से अरजे बता तो दो।
मुझे पूर्वजन्म और बाप-दादों के पाप से डराना कब तक बंद कर दोगे , बता दो।
मैं तुम्हारे घर की झूठन खा किस दिन पाप मुक्त होऊंगा बताते जाओ।
मुझे कब तक फेंक कर चवन्नी और दो बासी रोटी मिलेगी।
मेरा पानी का बरतन कब तक वहाँ कोने में अलग थलग पड़ा रहेगा।
मुझे मेरी संतान का नाम कब तक सोमारू , मंगरा , बुधना , बिफना , सुकरा , शनिचरा , ऐतवारु यही सब रखना ही होगा।
मुझे घोड़े पर चढ़ने कब मिलेगा।
मैं अपनी बेटी के ब्याह में कब बाजा बजा पाउँगा।
मैं कब आपको मालिक बोलना बंद कर सकूंगा।
Sunday, 9 July 2017
LIG , MIG , HIG , केवल अर्थशास्त्रीय, सांख्यीय शब्द भर नहीं है - यह एक सामाजिक विश्लेषण , समाज स्तरीय मनोवैज्ञानिक अध्ययन , शारीरिक -मानसिक -तार्किक - भावनात्मक वर्गभेदमूलक शब्द है , क्लास भी डिफाइन करते है , परस्पर एक असंवाद -दुराव-अलगाव -खाई को चिन्हित करते है।
इनमे से प्रत्येक एक दूसरे के प्रति अविश्वास - विस्मय और अवसर की सी स्थिति रखता है।
एक को LIG से निकल कर MIG तक जाना ही स्वप्न और असम्भव सा प्रतीत होता है और वह किसी असम्भव यात्रा के लिए तैयारी ही करता रह जाता है - रास्तों को ही खोजता -पहचानता रह जाता है , पर उसकी समझ उसका साथ नहीउं दे पाती।
HIG तो अपने आपको श्रेष्ठ जान -मान LIG या MIG का तिरस्कार करना अपना अधिकार मान बैठा है।
MIG डरा रहता है कहीं नीचे नहीं खिसक जाये - ऊपर और आगे के लिये उसकी स्थिति LIG वाले से भिन्न नहीं है।
HIG वाला भी मन ही मन यह तो जानता है की उसके ठाठ LIG को LIG बनाये रखने से ही बने रह सकते हैं।
इनमे से प्रत्येक एक दूसरे के प्रति अविश्वास - विस्मय और अवसर की सी स्थिति रखता है।
एक को LIG से निकल कर MIG तक जाना ही स्वप्न और असम्भव सा प्रतीत होता है और वह किसी असम्भव यात्रा के लिए तैयारी ही करता रह जाता है - रास्तों को ही खोजता -पहचानता रह जाता है , पर उसकी समझ उसका साथ नहीउं दे पाती।
HIG तो अपने आपको श्रेष्ठ जान -मान LIG या MIG का तिरस्कार करना अपना अधिकार मान बैठा है।
MIG डरा रहता है कहीं नीचे नहीं खिसक जाये - ऊपर और आगे के लिये उसकी स्थिति LIG वाले से भिन्न नहीं है।
HIG वाला भी मन ही मन यह तो जानता है की उसके ठाठ LIG को LIG बनाये रखने से ही बने रह सकते हैं।
Saturday, 8 July 2017
अकेले वकील समुदाय को समाज और संविधान में ब्यक्तिगत स्वतंत्रता और ब्यक्ति की मानवीय गरिमा को उसकी निजता और गोपनीयता के साथ और उसके प्रति पूर्ण निष्ठां और अधिकार के साथ राज्य और राष्ट्र , न्यायाधीश , और सभी दमन करि शक्तियों के सामने भी उन सब के विरुद्ध भी खड़े होने का सर्वोच्च अधिकार प्राप्त है और शायद अधिवक्ता की संस्था का यही प्राण तत्व है।
हाँ , सड़क ,ट्रेन , प्लेन आदि में हादसे होते रहते हैं। यह जीवन चक्र के हिस्से है।
पर इनके बावजूद जीवन चक्र चलता रहता है निर्बाध , थोड़ा और सावधान - पर रुकता कोइ नहीं , रोकता कोइ नहीं।
बस इसी तरह फेसबुक , वाट्सएप या अन्य श्रोतों पर पढ़े लिखे बच्चों , बृद्ध माता पिता , रिटायर्ड बुजुर्ग , देश में दूर या विदेश में कार्यरत बेटे-बहू , बेटी -दामाद से संबन्धित किस्से कहानियों या हादसों के विवरण से अपने चैन को डिस्टर्ब न करें। ये हादसे हैं। कहीं - कहीं , कभी - कभार हो ही जाते है , पर होते है हादसे। सामान्यतः सब कुछ सुखद ही होता है। विश्वास करें - सब कुछ सामान्य सुखद ही होता आ रहा है।
पर इनके बावजूद जीवन चक्र चलता रहता है निर्बाध , थोड़ा और सावधान - पर रुकता कोइ नहीं , रोकता कोइ नहीं।
बस इसी तरह फेसबुक , वाट्सएप या अन्य श्रोतों पर पढ़े लिखे बच्चों , बृद्ध माता पिता , रिटायर्ड बुजुर्ग , देश में दूर या विदेश में कार्यरत बेटे-बहू , बेटी -दामाद से संबन्धित किस्से कहानियों या हादसों के विवरण से अपने चैन को डिस्टर्ब न करें। ये हादसे हैं। कहीं - कहीं , कभी - कभार हो ही जाते है , पर होते है हादसे। सामान्यतः सब कुछ सुखद ही होता है। विश्वास करें - सब कुछ सामान्य सुखद ही होता आ रहा है।
बस ५० नेता , ५० अभिनेता , ५० कोट , ५० वर्दी , ५० पगड़ी , ५० थैली वाले , ५० कलम वाले , ५० रिंच-प्लास -औजार वाले, ५० दिमाग वाले , ५० टाई , ५० पीर औलिया महंथ , ५० काला गाउन , ५० उजला गाउन , ५० जेल के अन्दर वाले , पचास बम-गोली छुरे वाले ५० जेल के बाहर वाले , ५० कोठे वाले , ५० कोठे वाली। बाकि के तो सरे मजदूर। सर झुकाए पीछे पीछे पीछे चलने वाले।
Friday, 7 July 2017
JB talk thi jindgi, BAHAR aur husn, hamari yad n aayee,
Hm rahe gairon me sumaar , hamari jeekr, fikr nahi aayee
Aaj JB maut saamne hai to ham apne hi to hai , yaad aaya
Aaj lahu maangte ho , us waqt to tune dar se pyasa lautaya
जब तलक थी जिंदगी में बहार , औ हुस्न , हमारी याद न आई
हम रहे गैरों में सुमार, हमारी जिक्र औ फ़िक्र तक न कभी आई।
आज जब मौत सामने है तो अपने ही है ,यह बात क्यूँ याद आई
आज लहू मांगते हो ,उस वक्त तो तूने दर से था प्यासा लौटाया।
Thursday, 6 July 2017
मैंने अपने एक प्रबुद्ध मित्र से पूछा - यह चीन का नया बखेड़ा क्या है।
उसने मुझे समझाया की पड़ोसी दुश्मन के यहाँ बारात आयी हो , अगुआ आया हो , छठी -कारज -परोजन हो तो दुश्मन पड़ोसी खिसिया कर उसी दिन समय अपनी नाली -टंकी साफ करवाता है कि कम से कम असुविधा तो पैदा होगी ही। जैसे ही समय बिता फिर यथावत दुश्मन।
अमेरिका-इजराइल यात्रा का इतना तो रियेक्सन होना ही था। यदि यह नहीं होता या ऐसा कुछ नहीं होता तो मानो आपकी यात्राओं को किसी ने नोट ही नहीं किया।
आखिर चीन अपने मित्र पाकिस्तान को कुछ तो आश्वस्ति - दिलाशा देगा न !
उसने मुझे समझाया की पड़ोसी दुश्मन के यहाँ बारात आयी हो , अगुआ आया हो , छठी -कारज -परोजन हो तो दुश्मन पड़ोसी खिसिया कर उसी दिन समय अपनी नाली -टंकी साफ करवाता है कि कम से कम असुविधा तो पैदा होगी ही। जैसे ही समय बिता फिर यथावत दुश्मन।
अमेरिका-इजराइल यात्रा का इतना तो रियेक्सन होना ही था। यदि यह नहीं होता या ऐसा कुछ नहीं होता तो मानो आपकी यात्राओं को किसी ने नोट ही नहीं किया।
आखिर चीन अपने मित्र पाकिस्तान को कुछ तो आश्वस्ति - दिलाशा देगा न !
Wednesday, 5 July 2017
पत्थर हो चली है हवा,
आग में भुन चुका है समंदर।
पत्थर हो गई इस हवा का
मैं क्या करूँगा, !
मेरे बच्चे, ये पेड़, ये पौधे,
मूक-वधिर से ये मृगछौने
अब उनकी साँस की आस भी नहीं
यह पत्थर हो चली हवा !
तिजोरियों में बंद कर रखो इसे,
तुम्हारे काम आयेगी !!
जब मुर्दों के बाजार में
दुकान तुम लगाओगे !!!
जला ही डाला इस सारे समंदर को।
भुन चके इस सम़ंदर का, मैं क्या करूँगा ?
सहन कैसे करूँ मेरी प्यास को,
क्या जबाब दूँगा मीन की आश को !!
कैसे देखूँगा घोंघे निराश को ?
कागज की ये नाव कब से खड़ी है,
पानी की बाट जोहती अड़ी है !!
भुन चुके ,जल चुके इस समंदर को
तिजोरियों में बंद कर रखो इसे,
तुम्हारे काम आयेगा
जब मुर्दों के बाजार में
दुकान तुम लगाओगे।।।
चुल्लु भर पानी भी नहीं
डूब कर मरुँ भी तो कहाँ।
मेरी बेबसी
तुम्हारी खुदगर्जी
मेरी फाँकाकशी
तुम्हारी ऐयाशी
फोटो बना लो, गीत भी अच्छे बनेंगें
तिजोरियों में बंद कर रखो इसे,
तुम्हारे काम आयेगी,
जब मुर्दों के बाजार में
दुकान तुम लगाओगे।।।
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