Friday, 4 August 2017

न भूत से डरा , न आज से मन भरा , न अगले वक्त की सिहरन, न कोइ महान  !
हाथ में हथौड़ा , दूसरे में छैनी , दाँत  पे दाँत चढ़े ,वक्त की छाती पर एक निशान !

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