मोहब्बत से जंग नहीं होती , पर मोहब्बत में जंग जरूरी है।
जरूरी जंग फर्ज है।
गुनाह बर्दास्त करना अव्वल गुनाह है।
रही बात जंग के बाद की तो इज्ज़त वो ज़िल्लत तो उसी की रजा भर है।
पहली च्वायस माफ़ कर दो यदि नाइंसाफी आप के साथ हो ,और आप को माफ़ करने का हक हो।
यदि नाइंसाफ़ी गैरों के साथ है तो इंसाफ के लिए सब कुछ लुटा डालो।
और दिनी रास्ते पर अपने ईमान पर भरोसा करो।
जरूरी जंग फर्ज है।
गुनाह बर्दास्त करना अव्वल गुनाह है।
रही बात जंग के बाद की तो इज्ज़त वो ज़िल्लत तो उसी की रजा भर है।
पहली च्वायस माफ़ कर दो यदि नाइंसाफी आप के साथ हो ,और आप को माफ़ करने का हक हो।
यदि नाइंसाफ़ी गैरों के साथ है तो इंसाफ के लिए सब कुछ लुटा डालो।
और दिनी रास्ते पर अपने ईमान पर भरोसा करो।
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