Friday, 4 August 2017

किस्से तोता-मैना मुझे नहीं सुहाता.
राजा की विरुदावली लिखूंगा ,गाऊंगा नहीं।
शमा-परवाना -हुस्न-हसीन श्रृंगार रस ! बस भी करो।
मुझे भगवान के नाम पर काहिल -जाहिल मत बनाओ।
जाना तो है ही , चला भी जाऊँगा  ही ,
कुछ कह-कर -सीख -सिखा -देख -दिखा , कह -सुन जाने भर दम दो।
सब कुछ यहीं का मेरा तुम्हारा ही होगा , किसी जन्नत या दोजख का जिक्र तक नहीं..
तुम्हारा और मेरा भोगा  केवल सच सच , और कुछ भी नहीं। 

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