LIG , MIG , HIG , केवल अर्थशास्त्रीय, सांख्यीय शब्द भर नहीं है - यह एक सामाजिक विश्लेषण , समाज स्तरीय मनोवैज्ञानिक अध्ययन , शारीरिक -मानसिक -तार्किक - भावनात्मक वर्गभेदमूलक शब्द है , क्लास भी डिफाइन करते है , परस्पर एक असंवाद -दुराव-अलगाव -खाई को चिन्हित करते है।
इनमे से प्रत्येक एक दूसरे के प्रति अविश्वास - विस्मय और अवसर की सी स्थिति रखता है।
एक को LIG से निकल कर MIG तक जाना ही स्वप्न और असम्भव सा प्रतीत होता है और वह किसी असम्भव यात्रा के लिए तैयारी ही करता रह जाता है - रास्तों को ही खोजता -पहचानता रह जाता है , पर उसकी समझ उसका साथ नहीउं दे पाती।
HIG तो अपने आपको श्रेष्ठ जान -मान LIG या MIG का तिरस्कार करना अपना अधिकार मान बैठा है।
MIG डरा रहता है कहीं नीचे नहीं खिसक जाये - ऊपर और आगे के लिये उसकी स्थिति LIG वाले से भिन्न नहीं है।
HIG वाला भी मन ही मन यह तो जानता है की उसके ठाठ LIG को LIG बनाये रखने से ही बने रह सकते हैं।
इनमे से प्रत्येक एक दूसरे के प्रति अविश्वास - विस्मय और अवसर की सी स्थिति रखता है।
एक को LIG से निकल कर MIG तक जाना ही स्वप्न और असम्भव सा प्रतीत होता है और वह किसी असम्भव यात्रा के लिए तैयारी ही करता रह जाता है - रास्तों को ही खोजता -पहचानता रह जाता है , पर उसकी समझ उसका साथ नहीउं दे पाती।
HIG तो अपने आपको श्रेष्ठ जान -मान LIG या MIG का तिरस्कार करना अपना अधिकार मान बैठा है।
MIG डरा रहता है कहीं नीचे नहीं खिसक जाये - ऊपर और आगे के लिये उसकी स्थिति LIG वाले से भिन्न नहीं है।
HIG वाला भी मन ही मन यह तो जानता है की उसके ठाठ LIG को LIG बनाये रखने से ही बने रह सकते हैं।
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