निन्यानबे प्रतिशत को पता ही नहीं की काला , गन्दा , भ्र्ष्टाचार , अनुचित होता क्या है , पैदा कब और कहाँ किसके द्वारा क्यों किया जाता है। उसने शायद नाम भर ही सुना है। वह अनुचित-अनैतिक आचरण को जन्म से ही ब्यवहार में अपने से बड़ों के माध्यम से देखते आया है और इसे ही सामान्य प्राकृतिक सामाजिक ब्यवहार मंटा आ रहा है।
काला , गन्दा , भ्र्ष्टाचार , अनुचित संगो पांग समझाया दिखाया बतलाया ही नहीं गया ! समझ में आवे तो कैसे। इसका स्वरूप छिपाया जाता है। इसे सदाचार के रूप में ही सिखाया बताया जाता है।
काला , गन्दा , भ्र्ष्टाचार , अनुचित संगो पांग समझाया दिखाया बतलाया ही नहीं गया ! समझ में आवे तो कैसे। इसका स्वरूप छिपाया जाता है। इसे सदाचार के रूप में ही सिखाया बताया जाता है।
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