Tuesday, 11 July 2017

अधिसंख्य ग्लानि -अपमान -अत्याचार मेरा भोगा हुआ सत्य है , गॉवों के बालकों , वृद्ध , महिलाओं के माध्यम से देखा समझा हुआ है , कर्तब्य निर्वहन में भी साक्षात् सूजी हुई आँखों से चिल्लाती जुबान को शरीर थरथराते देखा है , थोड़ा सा सहारा मिलते ही निर्बल लाचार कैसे ुधिया जाता है - मेरे दग्ध हृदय - दिल -दिमाग -लेखनी से पूछिए। 

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