Tuesday, 25 July 2017

न मैं हारूँगा , न ही हारने  दूंगा।
झुका हुआ शीश , चाहे मेरा या तुम्हारा - मुझे अच्छा नहीं लगता।
मैं बस इतना चाहता हूँ - मैं लड़ता रहूँ .......  . और लड़ता ही रहूँ  .......  .  

No comments:

Post a Comment