Judicial discussion by R . K . Rateria
Tuesday, 25 July 2017
अजीब अतुल्य अहँकार तो अब भी है , दूसरे को हेय देखने की प्रवृत्ति आज भी है , ये आज भी सम्मान को अपने घर की दाई मानते हैं और सम्म्मान के लिए संघर्षरत दूसरों को अपमानित करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार।
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