Sunday, 5 April 2015

संविधान तो  है ही न, इत्ते सारे कानून गैरजरूरी .कहीं यह खतरे की घंटी कि आवाज तो नहीं है
. न्यायपालिका के लिये  खतरा ,नया बोझ ,जनता के लिये आगे एक अँधेरा  और ब्लैक होल  और अलीबाबा खुल जा सिम सिम की तरह मेरे जो मन में आया  किया ,करूँगा - जाओगे कहाँ - सारे कानून ही खत्म -न कोई स्टैण्डर्ड ,न रुल ,बस जो जब जैसे मन आया किया -करेंगे ,नहीं पसंद तो जाएये हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट -उसके आलावा कुछ नहीं-कहीं कुछ नहीं .नियम कानून बोझ .

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