Thursday, 16 April 2015

तुम्हारी नींव की ब्यापकता चमत्कृत  कर देने वाली है .मैं उसे सादर प्रणाम करता हूँ .इतना शानदार सब कुछ .. मैं तो इस सारे  के बीच कहीं नहीं हूँ .फिर भी मैं तुम्हारे बीच हूँ , दृढ़ता से हूँ .मानता हूँ मेरे पास साधन ,जीवन ,संचित उर्जा का अभाव है , यश और सम्मान की किसी बड़ी धारा से मैं अपने आप को मैं नहीं जोड़ पाता हूँ .मैं किसी भी बाहरी साधन से  जीवन की उर्जा न तो प्राप्त रह रहा हूँ न ही चाहुँ तो भी नहीं कर सकता हूँ .
पर यही क्या कम है की आज मैं तुम्हारे बीच हूँ और तुम भी मेरे लिये न चाहते हुए भी रुकने कोविव्श हो .मेरी और देखते तो हो .मेरे बारे में चर्चा तो करते तो हो .
बस इतने से के लिय सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापन तो बनता ही न है .
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