Saturday, 11 April 2015

मैं और मेरी यादें आज भारी होती जा रही हैं
कुछ भूले जा रहा हूँ ,उम्मीदें सामने आ रही है
तुम्हारी ही याद ,वही चेहरा ,भूले जा रहा हूँ
याद और उम्मीद दोनों भारी होती जा रही है .

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