क्या हम मुखे कानून की और बढ़ रहे है .
क्या हम सीधे दो अतिचारी स्वेच्छाचारी शक्तियों के बीच की रस्साकस्सी और अधिनायक प्रवृत्ति की और बढ़ रहें हैं .
हमारा अपना क्या होगा .क्या कोई भी हमारा अपना नहीं है .क्या ह्मारा अस्तित्व महत्वाकांक्षा की बलि चढ़ जायेगा .
क्या हम सीधे दो अतिचारी स्वेच्छाचारी शक्तियों के बीच की रस्साकस्सी और अधिनायक प्रवृत्ति की और बढ़ रहें हैं .
हमारा अपना क्या होगा .क्या कोई भी हमारा अपना नहीं है .क्या ह्मारा अस्तित्व महत्वाकांक्षा की बलि चढ़ जायेगा .
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