Friday, 17 April 2015

यह सब मेरे ही साथ होना  था ? आखिर क्यों ? क्या था ? कैसे हुआ ? कौन थे वे सब ? क्या किया था मैनें ? क्या किया  उन्होंने ? कैसे किया उन लोगों ने ?वे थे कौन, कहाँ से थे आये  ? उन्होंने ऐसा किया ही क्यों था ? क्या मिला उन्हें ?
पर अब ये सरे प्रश्न बेमानी हैं .
स्वीकृति ही उपचार है .

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