यह सब मेरे ही साथ होना था ? आखिर क्यों ? क्या था ? कैसे हुआ ? कौन थे वे सब ? क्या किया था मैनें ? क्या किया उन्होंने ? कैसे किया उन लोगों ने ?वे थे कौन, कहाँ से थे आये ? उन्होंने ऐसा किया ही क्यों था ? क्या मिला उन्हें ?
पर अब ये सरे प्रश्न बेमानी हैं .
स्वीकृति ही उपचार है .
पर अब ये सरे प्रश्न बेमानी हैं .
स्वीकृति ही उपचार है .
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