Friday, 10 April 2015

क्या तो हो  ही गया , क्या तो खो ही गया,क्या तो रह ही जायेगा ,कब कहाँ कौन कैसे चला जायेगा ,आने वाला बिना पहचान बताये कैसे आयेगा ,कैसे जायेगा ,क्यों तो वह आयेगा , क्यों तो  वह चला जायेगा - रूकने का तो सवाल ही नहीं ,कौन रोकेगा ,और रोकने से क्या रूकेगा - कहाँ तो रुकेगा ,रूकने की कोई जगह भी तो नहीं , किसी के रोकने से कौन आज तक रूका है , और जब चलना ही है वह भी बिना मर्जी के तो यही सब चलने के लिये तैयार रहना ही मुनासिब है .
आना , बुलाना ,रोकना ,रूकना ,चलना ,चलाना ,उठाना ,बैठना , बोलना -चलना ,आ कर बैठना,उठ कर चलना  बस इतना ही तो जीवन है .


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