मैं सत्य के प्रति अतिरिक्त आग्रह के लिये उत्साहित रहता हूँ .
औचित्य मेरी अतिरिक्त मनोयोग से पहली प्राथमिकता है .
अत्याचार और अन्याय मुझे आर अधिक दृढ़ तथा कठोर बना देते हैं ,मैं अतिरिक्त उसाह से दम भर उनका प्रतिकार करता रहूँगा .
लोभ से मुझे घृणा है , थी ,रहेगी .
क्रोध आता है - है
काम - कभी कभी कमजोर होता हूँ - पर शर्मिंदा नहीं - प्रतिकार करने में उर्जा नहीं लगाता - यह मेरे चिंतन या मनन का विषय नहीं, न ही उस परिधि में है .
आता है तो लड़ता नहीं ,बुलाने मैं जाता नही , ठहरने देता नही, कोई आग्रह नहीं -कोई पहल नहीं , कोई आक्रामकता नहीं , कोईअनुरोध नहीं ,कोई निमंत्र्ण नहीं - केवल समर्पण भर और फिर कोई स्मृति ही नहीं . समय-साधन-उर्जा का कोई विनियोग नहीं . सीमा के आगे -ना भाई ना - प्रश्न ही नहीं , स्वाभाविक रूप से ही .और बस उसे विदा कर देना भर ही उद्देश्य है ताकि वह और कुछ करने में ,और संघर्ष में ब्यवधान न बने .
औचित्य मेरी अतिरिक्त मनोयोग से पहली प्राथमिकता है .
अत्याचार और अन्याय मुझे आर अधिक दृढ़ तथा कठोर बना देते हैं ,मैं अतिरिक्त उसाह से दम भर उनका प्रतिकार करता रहूँगा .
लोभ से मुझे घृणा है , थी ,रहेगी .
क्रोध आता है - है
काम - कभी कभी कमजोर होता हूँ - पर शर्मिंदा नहीं - प्रतिकार करने में उर्जा नहीं लगाता - यह मेरे चिंतन या मनन का विषय नहीं, न ही उस परिधि में है .
आता है तो लड़ता नहीं ,बुलाने मैं जाता नही , ठहरने देता नही, कोई आग्रह नहीं -कोई पहल नहीं , कोई आक्रामकता नहीं , कोईअनुरोध नहीं ,कोई निमंत्र्ण नहीं - केवल समर्पण भर और फिर कोई स्मृति ही नहीं . समय-साधन-उर्जा का कोई विनियोग नहीं . सीमा के आगे -ना भाई ना - प्रश्न ही नहीं , स्वाभाविक रूप से ही .और बस उसे विदा कर देना भर ही उद्देश्य है ताकि वह और कुछ करने में ,और संघर्ष में ब्यवधान न बने .
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