Friday, 24 April 2015

बहुत हुआ ,कुछ बच गया ,फिर भी बहुत होना बाकी है 
तबियत से सपने देखो ,सारे सपने अपने होना बाकी है 

सपने भी होते बैचैन , अपनाने वाले को ढूंढते  फिरते हैं
दुनिया भी होती बैचैन,सपनाने वाले को ढूंढती फिरती है   

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