Wednesday, 15 April 2015

बस सब कुछ दिन रात आता जाता रहता है , कुछ भी ,कभी भी, कहीं भी थमता रुकता नहीं - बस हर वक्त पीछेसे आता हुआ आगे बढ़ जाता है  

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