Tuesday, 28 April 2015

समर्पण कर देना ,समर्पण करा लेना ,समर्पण कर लेना ,विश्वास जीत लेना ,विश्वास करा देना , विश्वास कर लेना - बड़ी बात है -
बड़ी इच्छा शक्ति लगती है वास्तविक हिम्मत चाहिये ,साहस चाहिये . आत्म समर्पण करना,करा लेना ,कर देना और उसके बाद भी आत्म सम्मान बचा रखना एक कला है .ऐंठना ,अकड़ना ,अटक जाना ,नाक की सीध में ही चलूँगा ,अनमनीय होना ,पूर्ण शुद्ध होने या रहनेका आग्रह लगता तो है अव्यवहारिक है और दायें -बांये करते सुरक्षित आगे बढ़ चलने की हिम्मत पुरुषार्थ.
हाँ अनुपात का उचित ज्ञान होना ही चाहिये .
पर हाँ अपने लिये दूसरों को अनावश्यक स्थायी हानि पहुँचाना उचित तो नहीं ही है .अपने आप कोअप्मनित होते देना या लोभवश अपमान का पान करते रहना मेरी तो समझ में नहीं आता .

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