Judicial discussion by R . K . Rateria
Monday, 13 April 2015
दूर से देखोगे ,अलग से देखोगे तो यह सब अजीब सा दिखेगा , कुछ समझ में भी नहीं आयेगा या जो समझ में आयेगा वह न तो पूर्ण होगा न ही सही - उचित भी होगा कि नहीं ,कुछ कहा नहीं जा सकता .
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