Monday, 6 April 2015

कल और आज
अब कैसे हो
बताओगे नहीं
कल कैसे थे
आज कैसे हो
क्या लग रहा है
कल कैसे होओगे
कल जैसे ही
या आज जैसे
या कुछ बदला सा
कितना बदलोगे
अपने आप को
अपनों को
और फिर अपना
या अपनों का
एक नया सपना
कब देखोगे
सपनों को जगाओ
अपना बना लो
सपने उगाओ
सपने जगाओ
आज का सपना
कल होगा अपना
आज से बेहतर
कल होगा ही
बस एक सपने
कुछ आँखें
कुछ हाथ
कुछ पांव
थोडा माथा
बस पसीना
थोड़ी हंसी
थोडा अपनापा
परहेज और
 कुछ दूरियाँ
छोटे नहीं
कुते नहीं
बस इतना ही
तब देखना
कल कितना
सुंदर होगा


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