भारतीय संविधान में महिलाओं की सुरक्षा और अधिकार के लिए कई कानून हैं। जिसमें महिलाएं सामाजिक रीति रिवाज के साथ कैरियर के सभी क्षेत्र में पुरुषों के समान अधिकार प्रदान किया गया है । यह जानकारी मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमेश कुमार रतेरिया ने दी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री रतेरिया डुमरिया स्थित बालिका उच्च विद्यालय में विधिक जागरुकता शिविर में बालिकाओं को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर श्री रेतरिया ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ग्रहण करने वाली बालिकाएं ही कानून का ज्ञान अर्जन कर सकेगी। इस ज्ञान को प्राप्त करने वाली बालिकाएं स्वयं के साथ अन्य बालिकाओं और महिलाओं के अधिकार की रक्षा के लिए भी अपनी आवाज बुलंद कर सकती है। श्री रतेरिया ने कहा कि वर्तमान समय में बालिकाएं डॉक्टर, इंजीनियर और आर्किटेक्ट तो बनना चाहती हैं लेकिन न्यायिक विभाग में अपना कैरियर बनाने की दिशा में विशेष ध्यान नहीं देती। जबकि बालिकाओं के लिए जरुरी है कि वे कानून का ज्ञान अवश्य अर्जित करें। साथ ही न्यायिक विभाग में भी अधिवक्ता, पीपी, सीजेएम और डीजे बन महिला सशक्तिकरण की दिशा में अपना योगदान अवश्य दें सकती है। कारण यह कि जिस समाज की बालिकाएं व महिलाएं कानून की जानकार होंगी। वह समाज निश्चित ही विकास के पथ पर अग्रसर रहेगा। कानून सभी को सेल्फ डिफेंस राइट प्रदान करता है। इसलिए जरुरी है कि प्रत्येक बालिका कानून का ज्ञान अर्जन करें। वहीं श्री रतेरिया ने बालिकाओं द्वारा कानून से संबंधित पूछे गए प्रश्नों के जवाब भी दिए। इस दौरान मुख्य रुप से सीजेएम बीएन मिश्रा, प्रधानाध्यापिका इंदिरा भौमिक, डा. रियाजुय्दीन, अब्दुल कादिर, मो. रफीक, बिन्दु शर्मा, आलोक कुमार, फरहान नाज और राकेश कुमार सहित बड़ी संख्या में स्कूली छात्राएं मौजूद थी - See more at: http://www.jagran.com/bihar/kishanganj-12288149.html#sthash.sxSklAWz.dpuf
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