अनुनय विनय के आलावा क्या और कुछ भी रास्ता नहीं है , केवल दास बनना और बन जाना या बना देना या बना लेना या बना देना ही जीवन है .
एक बार स्वतंत्रता का उपभोग करके तो देखो ,उन्हें स्वतन्त्र कर के तो देखो , उन्हें स्वतंत्रता का वरदान दो ,अपने शिष्य होने के दास्य भाव से मुक्त हो जाने दो अपनी कृपा के बहार -भाव से मुक्त हो जाने दो , माना की तुम्हारा उन पर उपकार है , पर जो तुमने उनके लिये किया वह तुम्हारा कर्तब्य भी नहीं था क्या , तुम्हरे अपने कर्तब्य पालन से यदि किसी का लाभ हो ही गया तो इसके कारण एहसान का दावा कर किसी को अपना दास बना ही लेना , जन्म -जन्मान्तर के लिये शिष्य-प्रचारक बना दलन कितना उचित है . तुमने तो अपना कर्तब्य पालन भर किया था पर उसके बदले उसे दास बना लिया -अनुचर बना डाला -उसकी स्वतंत्रता का अपहरण कर डाला .उसे मुक्त कर दो . प्लीज .
एक बार स्वतंत्रता का उपभोग करके तो देखो ,उन्हें स्वतन्त्र कर के तो देखो , उन्हें स्वतंत्रता का वरदान दो ,अपने शिष्य होने के दास्य भाव से मुक्त हो जाने दो अपनी कृपा के बहार -भाव से मुक्त हो जाने दो , माना की तुम्हारा उन पर उपकार है , पर जो तुमने उनके लिये किया वह तुम्हारा कर्तब्य भी नहीं था क्या , तुम्हरे अपने कर्तब्य पालन से यदि किसी का लाभ हो ही गया तो इसके कारण एहसान का दावा कर किसी को अपना दास बना ही लेना , जन्म -जन्मान्तर के लिये शिष्य-प्रचारक बना दलन कितना उचित है . तुमने तो अपना कर्तब्य पालन भर किया था पर उसके बदले उसे दास बना लिया -अनुचर बना डाला -उसकी स्वतंत्रता का अपहरण कर डाला .उसे मुक्त कर दो . प्लीज .
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