Thursday, 16 April 2015

मैं और आप हैं तो एक ही , मूल रूप से एकदम एक -बस कुछ  आड़ी - तिरछी रेखाएं खींच दी  गई है ,कुछ अपने आप उभर  सी आई हैं ,कुछ दूसरों ने, कुछ हमने आपने खुद से ही खींच डाली है , कुछ तो है ही नहीं पर हमने आपने  अपने भ्रम से कल्पना भर कर डाली है .
हमने कुछ काल्पनिक डब्बे जैसे  बना रखें है . अपने आप को बाँट रखा है . यह अधिकांश भ्रम भर ही है .
थोडा सा प्रिश्र्मौर यह आभासी दीवार हट ही जाएगी - हम और आप एक  हैं ही - आर पार देख-सुन-समझ सकेंगें-सारे भ्रम टूट चुकें होंगे . .

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