कितना कुछ कह गया वह एक आँख का एक पनियाया कोना और दूसरी आँख के कोने से बरसती आग
पनीयाई आँख में उतर आया था पानी और खून ,दूसरी आँख के कोने में चढ़ा जा रहा वही पानी और खून
एक की तासीरसे सपने, हौसले ठन्डे हुए जा रहे थे ,दुसरे से वही सब उफनते ,उबलते गुबरते जा रहे थे
कहना था सो तो यह कह ही गया ,अनकही ,अनसुनी भी बहुत कुछ यह सुन-सुना ,देख दिखा ही गया
पनीयाई आँख में उतर आया था पानी और खून ,दूसरी आँख के कोने में चढ़ा जा रहा वही पानी और खून
एक की तासीरसे सपने, हौसले ठन्डे हुए जा रहे थे ,दुसरे से वही सब उफनते ,उबलते गुबरते जा रहे थे
कहना था सो तो यह कह ही गया ,अनकही ,अनसुनी भी बहुत कुछ यह सुन-सुना ,देख दिखा ही गया
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