चलो ,अब तो शुक्रिया तुम्हारी अदा कर दे
की सलीके से गुनाह करने का इल्म दे गये
गुनाहों से फासला रखते थे हम जमाने से
तुम गुनाहों से दोस्ती की इजाजत दे गये
गुनाहों से क्या रिश्ता तुम्हारा ,तुम जानों
हम तो तुम्हारे एहतराम में इसे जान गये
जो रहा अनजान हमारे लिये आज तक
तुम्हारे तुफैल में आज हम उसे मान गये
की सलीके से गुनाह करने का इल्म दे गये
गुनाहों से फासला रखते थे हम जमाने से
तुम गुनाहों से दोस्ती की इजाजत दे गये
गुनाहों से क्या रिश्ता तुम्हारा ,तुम जानों
हम तो तुम्हारे एहतराम में इसे जान गये
जो रहा अनजान हमारे लिये आज तक
तुम्हारे तुफैल में आज हम उसे मान गये
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